महाभोज (Mahabhoj) , मन्नू जी की बेहतरीन किताबों में से एक है।
मन्नू जी की एक किताब है आपका बंटी। बड़ी अच्छी लगी थी वो मुझे। यूं कह सकते है कि पसंदीदा पुस्तकों में से एक है वो मेरी। इसलिए जैसे ही ये किताब देखी, मन हुआ पढ़ा जाए। और अच्छा ही है कि मन हुआ। बढ़िया किताब निकली।
इस किताब को पढ़ने के बाद मन से यही निकला, वाह रे राजनीति ! असली द्विअर्थी बातें तो राजनीति में ही होती है। बोला कुछ जाता है, मतलब कुछ और होता है, किया कुछ और जाता है।
महाभोज (Mahabhoj) की कहानी एक गांव सिरोहा की है जहां पर चुनाव नजदीक ही है। ऐसे में तो जो गद्दी पर है वो अगली बार फिर गद्दी पाने की ताक में होते है और जो गद्दी पर नहीं है उनके लिए तो मान लो एक मौका होता ही है। अब सिरोहा गांव का क्या रोल आ गया इसमें ? अब भई आएगा ही न, जब चुनाव की सरगर्मी हो ऐसे में कोई घटना हो जाए जिससे किसी पार्टी की वोट बैलेंस कम होने की या किसी पार्टी की ज्यादा होने की संभावना हो। ऐसी ही कोई घटना सिरोहा गांव में घट जाती है।
बस फिर क्या? आपको तो पता ही है ऐसी किसी घटना से सिर्फ परिवार वालों और ज्यादा से ज्यादा कुछ करीबी लोगों को दुख तकलीफ होता है। बाकी लोग या यूं कह लें पार्टी वाले लोग तो ऐसी घटनाओं को अवसर के रूप में देख लेते हैं और लगाने लगते है दांव पेच कि कहां से कैसे इसका फायदा उठाया जा सकता है।
बस इसके बाद से ही सत्ता के लालची उस घटना की तह तक जाने की बजाय , उस घटना की सच्चाई उजागर करने की बजाय , उस घटना का इस्तेमाल करते है , कैसे इस केस की जाँच के पीछे लोग अपने दांव पेंच खेलते है , आप देखकर दंग रह जायेंगे।
बढ़िया किताब है महाभोज (Mahabhoj) . पढ़िए आप भी। पूरी राजनीति है। वक्तव्य काफी अच्छे से लिखे गए है। और जहां पर पात्रों को बहुत अच्छे से उकेरा जाता है और उनके हिसाब से उनकी बोली भाषा सेट कर दी जाती है, वहां मुझे कुछ ज्यादा ही मजा आ जाता है। इसमें भी वही है, फिर चाहे शुकुल बाबू हो या दा साहब हो, बिंदा हो या एस.पी. सक्सेना साहब हो। सारे के सारे पात्रों को बहुत अच्छे से सामने रखा गया है। लिखावट भी सीधी साधी है। और बाकी सब बढ़िया है। मौका मिले तो आप भी पढ़िए।
यह किताब समाज के कई सारे विषयों पर प्रकाश डालती है , जैसे कि सामाजिक असमानता , राजनीति और भ्रष्टाचार , मीडिया , किसी की जाँच परख के पीछे की बातें। यह एक ऐसी कृति है जो राजनीति और सामाजिक जटिलताओं को बहुत बारीकी से उजागर करती है। यह किताब जब से प्रकाशित हुई है , तब से लगातार अब तक हिंदी साहित्य में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है।
मन्नू भंडारी के बारे में
मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल , 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा में हुआ था। मन्नू जो लेखिका के साथ साथ अध्यापिका भी थी। एम. ए. करते ही मन्नू जी ने कलकत्ता में पढ़ना शुरू कर दिया था। बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में भी हिंदी की अध्यापिका रहीं।
उन्होंने कई उपन्यास, नाटक, कहानियाँ तथा कुछ पुस्तकें बच्चों के लिए भी लिखे। आपका बंटी और महाभोज काफी चर्चित उपन्यास है। पति राजेंद्र यादव के साथ भी किताब ‘एक इंच मुस्कान’ प्रकाशित है। मन्नू जी ने अपनी लेखन आत्मकथा ‘एक कहानी यह भी’ किताब के नाम से छपवायी है। अगर आप उनके बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो ये किताब पढ़ सकते है।
साहित्यिक उपलब्धियाँ
- व्यास सम्मान
- शिखर सम्मान (हिंदी अकादमी, दिल्ली)
- शब्द साधक शिखर सम्मान, आदि
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FAQs
मन्नू भंडारी का जन्म कब हुआ था ?
मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल , 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा में हुआ था।
आपका बंटी किसकी रचना है ?
आपका बंटी की लेखिका मन्नू भंडारी है।
महाभोज किसकी रचना है ?
महाभोज की लेखिका मन्नू भंडारी है।
मन्नू भंडारी के प्रसिद्ध उपन्यास कौन – कौन से है ?
मन्नू भंडारी के प्रसिद्ध उपन्यास आपका बंटी और महाभोज (Mahabhoj) है।