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Toggleबागी बलिया किताब की समीक्षा हिंदी में

बागी बलिया कहानी पूर्वांचल की एक जगह बलिया पर आधारित है। और इस किताब को लिखा है सत्य व्यास जी ने। किताब को लिखने में आंचलिक भाषाशैली का प्रयोग किया गया है । और यही भाषा शैली इस कहानी में तड़के की तरह काम करती है।किताब का शीर्षक के साथ साथ कवर भी काफी दिलचस्प है। कहानी दो लोगों संजय और रफीक की है फिर भी इसे पूरा एक तीसरा किरदार करता है और वह है डॉक साहब। वैसे तो डॉक साहब को लोग पागल कहते हैं और उनकी ज्यादातर बातें लोगों के सिर के ऊपर से जाती हैं फिर भी यह वही डॉक साहब है जिनकी वजह से संजय और रफीक राजनीति में आगे बढ़ पाए हैं।
तो कहानी यह है कि संजय और रफीक लंगोटिया यार है जो एक दूसरे को नाम से नहीं बल्कि अंदाज से संबोधित करते हैं, रफीक, संजय को नेता कहता है और संजय, रफीक को मियां। संजय और रफीक की एकदम पक्की दोस्ती है।इन दोनों की दोस्ती के बीच कभी मजहब नहीं आया। यहाँ तक कि संजय की बहन ज्योति , संजय के साथ – साथ रफीक को भी राखी बांधती है। कॉलेज दोनों का एक ही है यहां और दोनों ही छात्र राजनीति में सक्रिय भी है। कहानी कॉलेज में होने वाले चुनाव के इर्द – गिर्द ही घूमती है।
बागी बलिया के अलावा सत्य व्यास जी की अन्य किताबें
बागी बलिया के अलावा सत्य व्यास जी की कुछ और किताबें भी है जैसे बनारस टॉकीज , दिल्ली दरबार , 84 (चौरासी), उफ्फ कोलकाता। उफ्फ कोलकाता को छोड़ कर बाकी किताबें पढ़ी है मैंने व्यास जी की। और अगर आप नहीं पढ़े है तो आपको मैंने सुझाव देती हूँ कि कुछ किताबें तो इनमे से जरूर पढ़ें , जैसे बनारस टॉकीज , चौरासी। बनारस टॉकीज तो पढ़ते समय आप पक्का हसेंगे। बड़ी मजेदार किताब है। बाबा , दादा और जयवर्धन की बातों पर आप पक्का ठहाका लगाएंगे।और इसी बहाने ही सही , बैठे – बैठे ही बनारस के थोड़े चक्कर लगा लेंगे। चौरासी थोड़ी सी सेंसिटिव किताब है , लेकिन बहुत खूबसूरती से लिखा गया है।
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