यार जादूगर (Yaar Jadugar)

लेखक – नीलोत्पल मृणाल
प्रकाशक – हिन्द युग्म
प्रकाशन वर्ष – 2021
भाषा – हिंदी

Yaar Jadugar
Yaar Jadugar

यार जादूगर (Yaar Jadugar), नीलोत्पल मृणाल जी की तीसरी किताब है। पहली दो किताबें डार्क हॉर्स और औघड़ मैंने पहले ही पढ़ रखी है और दोनों ही किताबें मुझे बहुत पसंद आयी थी। डार्क हॉर्स तो 2015 में प्रकाशित हुई थी और 2016 में ही उस किताब के लिए नीलोत्पल जी को साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार मिल गया था। इस किताब का अंत बड़ा ही खूबसूरत था। औघड़ 2019 में आयी थी। ये किताब गांव की राजनीति पर आधारित है और बड़े ही खूबसूरत तरीके से लिखी गयी है। इसका भी अंत कमाल का लगा था मुझे।

इसीलिए मुझे तीसरी किताब का बेसब्री से इंतजार था। यार जादूगर (Yaar Jadugar) किताब आयी 2021 में। और जैसे ही मैंने इस तीसरी किताब “यार जादूगर (Yaar Jadugar)” के बारे में सुना बिना कुछ सोचे समझे हिंदीनामा से ऑर्डर कर दिया। मुझे मजा तब और आयी जब किताब के साथ साथ मुझे यार जादूगर की टीशर्ट भी मिली।

अब आते है यार जादूगर(Yaar Jadugar) की कहानी की तरफ। लेखक की मुझे सबसे खास बात उनकी लेखन शैली लगती है। कुछ अलग, थोड़ा व्यंग, थोड़ा मजाक और एकदम मस्त लिखने का तरीका, ऐसा ही कुछ इनकी बाकी दोनों में किताब में होता आया था पर इस किताब में कुछ खास जादू नहीं दिखा पाई उनकी लिखावट।

एक के बाद एक पन्ना पलटते वक्त बस यही सोचा जा रहा था कि कुछ बढ़िया मजेदार तरीके से सस्पेंस खुलेगा और कुछ बढ़िया होगा यार जादूगर (Yaar Jadugar) में । पर जब ये सस्पेंस खुला तो बस सब माटी हो गया। समझ नहीं आया आखिर क्या जादू करने के लिए लिखी गयी थी यार जादूगर। बहुत सारा अध्यात्म, दर्शन, सामाजिक व्यंग, भ्रष्टाचार, ये सब बहुत अच्छे से लिखा गया है पर फिर भी जिस तरीके से अंत किया गया है वो मुझे कुछ खास नहीं लगा।

बीच बीच में कहानी बहुत धीरे तरीके से चल रही थी, पर फिर भी दिमाग में यही बात चल रही थी कि आगे कुछ अच्छा होगा यही सोचते हुए पूरी किताब खत्म हो गई और मिला एक निराश करने वाला अंत। इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी।

यार जादूगर(Yaar Jadugar) में एकदम आम भाषा – शैली का इस्तेमाल , बोलचाल वाली भाषा कह लीजिये। खैर ये तो खासियत है नीलोत्पल जी कि लिखते एकदम ऐसा है कि आप एकदम से अपने आस – पास से कनेक्ट कर लेंगे। और अगर गांव – देश की जीवन – शैली की थोड़ी बहुत भी समझ है आपको , तो बिलकुल ही आप जुड़ाव महसूस करेंगे। एक और खास बात यार जादूगर की है कि इसमें मृत्यु को एक अलग तरह से दिखाया गया है , दार्शनिकता काफी देखने को मिलेगी आपको। 

खैर मुझे तो उतना पसंद नहीं आयी किताब , पर आप पढ़ कर अपनी राय साझा कर सकते है। वो कहते है न पसंद अपनी – अपनी , तो हो सकता है आपको पसंद आ जाये किताब। अगर आप अध्यात्म और दर्शन का मिला – जुला रूप कहानी के साथ पढ़ना चाहते है , तो आप पढ़ सकते है, क्योंकि अध्यात्म की बहुत सारी बातें इस किताब में है। अब आप ही बताइये कि यार जादूगर आपके ऊपर कितना जादू कर पाती है। 

नीलोत्पल मृणाल के बारे में -

नीलोत्पल मृणाल का जन्म 25 दिसंबर 1984 को हुआ था। लेखक होने के साथ – साथ ये कमाल के कवि भी है। अब तक इनकी तीन किताबें आ चुकी है।
1 . डार्क हॉर्स (Dark Horse) – 2015
2. औघड़ (Aughad) – 2019
3. यार जादूगर (Yaar Jadugar) – 2021

Nilotpal Mrinal
Nilotpal Mrinal

कविताओं की बात करें तो इनकी कई कविताएं भी फेमस है जैसे कि “दुनिया ऐसी हुआ करती थी “, “चल साधो कोई देश”, “हम बिहार है” .. इसके अलावा भी उन्होंने और भी कविताएं , लोक – गीत लिखे भी है और सुनाये भी है।

पुरस्कार –
2016 में नीलोत्पल मृणाल को इनकी किताब डार्क हॉर्स के लिए युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।

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