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किताब – काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi)
लेखक – काशीनाथ सिंह
प्रकाशक – राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ – 172
यह किताब है उस शहर की जिसका इश्तहार है “जो मजा बनारस में; न पेरिस में न फारस में।” यह इश्तहार दीवारों पर नहीं, लोगों की आंखों में और ललाटों पर लिखा रहता है। और कहानियां है उस घाट की जो असल मायनों में घाटों का राजा है यानी अस्सी घाट।
काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi), काशीनाथ सिंह जी द्वारा रचित एक बहुचर्चित उपन्यास है। एक ऐसा उपन्यास जो बच्चों और बूढ़ों के लिए नहीं है। काशी का अस्सी ऐसे वर्ग के लिए है जो वयस्क है। जिसने भी काशी ( या आज के वयस्कों के लिए वाराणसी ) का नाम सुना होगा उसने अस्सी का नाम जरूर सुना होगा। काशीनाथ सिंह जी भी अस्सी के बगैर उतने ही अधूरे है जितना अस्सी के बगैर काशी। और अस्सी मोहल्ला , उसकी तो बात ही मत कीजिये , उसकी तो जान है अस्सी। काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi) पर आधारित एक फिल्म भी आयी थी “मोहल्ला अस्सी” के नाम से।

काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi) की कहानियाँ
काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi) की कुछ खास बातें –
- अस्सी घाट
- भाषा शैली
- पप्पू की दुकान और उसकी मेज पर बनती बिगड़ती सरकार
- अस्सी के कुछ रिवाज
काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi) क्यों पढ़ें –
- अगर आपको राजनीति में जरा भी रूचि हो
- अस्सी को जानने और समझने के लिए
- कुछ बदलावों के दौर समझने के लिए
काशी का अस्सी (Kashi Ka Assi) क्यों न पढ़ें –
- अगर आपको गालियों से परहेज हो
- अगर आपको राजनीति बिलकुल ही अरुचिकर लगती हो