The Bookishmate

Rang Ka Patta Book By Amrita Pritam

Rang ka Patta

रंग का पत्ता (Rang ka Patta) किताब लिखी है अमृता प्रीतम जी ने। मुझे पता भी नहीं था कि उनकी ऐसी कोई किताब नहीं है , क्योंकि जब मैं थोड़ा प्रचलित किताबों के बारे में ढूंढती हूँ तो ये किताब का नाम मुझे कहीं दिखा नहीं था। पर एक दिन मैं किसी बुक – स्टोर में गयी थी और ये किताब मुझे वहाँ दिख गयी।

शुरुआत के एकाध पन्ने पढ़ने के बाद मुझे इस किताब में रूचि जगी और इस किताब ने मेरे कमरे में जगह बना ली। किताब पढ़ी और पढ़ने के बाद मुझे अच्छा लगा कि इस किताब पर मैंने अपना समय दिया।
मैं अलग अलग वेबसाइट पर इस किताब की समीक्षा ढूंढ रही थी पर मुझे कुछ खास मिला नहीं।खैर कोई बात नहीं , मैं बताती हूँ आप लोगों को कि कैसी है ये किताब।

रंग का पत्ता (Rang ka Patta) किताब में दो कहानियॉं है। पहली कहानी का नाम “रंग का पत्ता (Rang ka Patta)” ही है और दूसरी कहानी का नाम “जलावतन” है। हम एक एक करके दोनों कहानियों की बात करते है –

Rang ka Patta
Rang ka Patta

रंग का पत्ता (Rang ka Patta)

रंग का पत्ता (Rang ka Patta) कहानी की मुख्य किरदार है कैली। कैली के अलावा भी कुछ किरदार है जैसे दीपक , बक्शा , मितरो और लखेशाह वल्द कौडेशाह। अब यहाँ पर लखेशाह के बाद उसके पिता का भी नाम क्यों लगा रही इसको समझने के लिए किताब पढ़िए आप। जैसा कि हर माँ – बाप चाहते है कि उनकी बेटी बहुत खुशहाल घर में जाये , कैली के पिता ने भी उसका रिश्ता लखेशाह के यहाँ कर दिया। लखेशाह ठहरा बहुत ही धनी। पर कैली उन लोगों में से थी जिसे इज्जत और प्यार मिले तो वो कम धन में भी बहुत खुश रहे। हालाँकि कैली ने अपने हलक से एक लफ्ज भी नहीं निकला और ख़ुशी ख़ुशी लखेशाह की पत्नी बन गयी।

लेकिन जब लखेशाह ने अपनी इज्जत को किसी और के हाथों को बेचने की कोशिश की तो कैली को अमृता जी ने जिस हिसाब से हिम्मत दी वो मुझे बहुत अच्छा लगा पढ़ कर। दीपक का कैली की ज़िन्दगी में आना , वाकई उसकी जिंदगी को रोशनी से भर देना था। बक्शा भी एक महत्वपूर्ण किरदार है। बक्शा का मितरो के लिए हर क्षण में प्यार होना , वाकई सच्चे प्रेम को दिखता है। मितरो को ये एहसाह होना कि किसी का सच्चा प्यार कितना खूबसूरत होता है। अमृता जी ने इस छोटी सी कहानी में बहुत सारे पहलुओं को समेट लिया है।

आजकल लोग प्रेम कहानियाँ लिखने में 300 पन्ने खर्च कर डाल रहे है , लेकिन फिर भी उनकी कहानी में वो गहराई नहीं आ पा रही जो आपको अमृता जी की 100 पन्नों की कहानी “रंग का पत्ता (Rang ka Patta)” में मिल जाएगी। अमृता जी ने इस एक कहानी में कई सारे विषय उठा दिए। हालाँकि उन्होंने बहुत विस्तार से किसी भी दृश्य को नहीं लिखा , लेकिन जितना भी लिखा है वो अपने आप में विस्तृत है। जैसे कैली का रेलवे ट्रैक पर मत्था टेकना , कैली का घर छोड़ कर चले जाना , मितरो के लिए बक्शे की उम्मीद।इस कहानी में हिन्दू मुस्लिम लड़ाई के कुछ परिणामों को भी लिखा गया है।

जलावतन

जलावतन, एक कहानी की शक्ल में नहीं है। ये अंतर्मन की भावनाओं का चित्रण है। हाँ कुछ कुछ हिस्सों में हॉस्टल के लड़के लड़कियों के कुछ हिस्से है। पर ज्यादातर हिस्से मलिक के है। मलिक के मन से निकले जो विचार है , उसके सपने , उसकी भावनाएं। इंसान के जीवन में कैसे कुछ पल आते है जो एकदम से सबकुछ बदल कर रख देते है। मलिक के जीवन में भी ऐसा कुछ हुआ। ज्यादा कुछ इसके बारे में बताना मेरे लिए संभव नहीं होगा। क्योंकि जलावतन की लिखाई इस तरह है कि आप उसे पढ़े तो बेहतर समझ पाएंगे। मेरे लिए लिखना थोड़ा मुश्किल है।

हाँ मैं इस कहानी से या यूं कह ले कि तरीजा (जो कि एक किरदार है ) की मम्मी की डायरी से उठायी गयी एक कविता की शक्ल की कुछ पंक्तिया जरूर लिखना चाहूंगी

“मेरा जिस्म एक लहू – मांस के गमले की तरह है।
ख्याल कभी फूलों की तरह खिलते है कभी मुरझाते ….

दुनिया की हर अच्छी किताब को मैं घबराकर पढ़ती हूँ
मेरी आंखें हर एक वरके पर ऐसे जाती है ,
जैसे एक बहुत जख्मी मरीज इमरजेंसी वार्ड की तरफ जाता है।

लिबास एक अजीब चीज है –
जब जिस्म पर पड़ता है , सभ्यता बन जाता है ,
पर जब रूह पर पड़ता है , तो महज बदनसीबी

सारे रंग मेरे अंदर है , पर नर्म और पिघले हुए नहीं ,
जो सहज ही एक – दूसरे में मिल जाएं ,
ये ठोस पत्थर के रोड़ों की शक्ल में हैं
ये हर वक्त एक – दूसरे से टकराते है –
एक – दूसरे को जख्मी करते हैं और मैं
इनके खून में भीगी रहती हूँ

अजीब बात है कि सूरज के सारे खून माफ़ है। यह हर रोज दुनिया के हर इंसान का एक दिन कत्ल करता है – रोज इंसान की उम्र एक दिन छोटी हो जाती है। उम्र का एक टुकड़ा रोज ज़िबह हो जाता है … “

रंग का पत्ता (Rang ka Patta) किताब खरीदें : रंग का पत्ता (Rang ka Patta)

Too good to be true किताब की समीक्षा पढ़ें : Too good to be true

Exit mobile version