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आषाढ़ का एक दिन : समीक्षा

आषाढ़ का एक दिन किताब की समीक्षा हिंदी में

आषाढ़ का एक दिन

मोहन राकेश जी ने एक रचना की “आषाढ़ का एक दिन” और ये रचना आज तक जीवंत है और पढ़ी का रही है। यही इस बात का सबूत है कि राकेश जी की ये रचना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। “आषाढ़ का एक दिन” एक नाटक है जो कालिदास के जीवन के एक थोड़े से भाग को लेकर लिखी गई है।

आषाढ़ का एक दिन शीर्षक रखने के पीछे का कारण जो भी रहा हो पर मुझे लगता है कि ये शीर्षक किताब के शुरुआती और आखिरी समय को देखते हुए रखा गया होगा जो कि एकदम सटीक बैठता है।

तमाम रंगमंच भी ” आषाढ़ का एक दिन ” के ऊपर हो चुके है। ऐसे में ये पूछना कि क्या किताब पढ़ने लायक है है बिल्कुल ही बेकार किस्म का सवाल होगा। ये किताब तो बिल्कुल ही पढ़नी चाहिए और खासकर उन लोगों को जो साहित्यिक है, जिन्हें पुरानी पुस्तकों को पढ़ने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होती। नए दौर की पुस्तकें पढ़ते रहने के बीच बीच में पुरानी कुछ पुस्तकों को भी पढ़ लिया जाए तो आंनद कि अनुभूति होती है।

किताब “आषाढ़ का एक दिन” बहुत ज्यादा लंबी नहीं है पर एक लंबी जिंदगी का सार दिखा दिया गया है। कालिदास एक गाँव का बिल्कुल ही साधारण निवासी है और गाँव की ही एक साधारण सी लड़की मल्लिका के बहुत करीब है । कालिदास मल्लिका के सिर्फ करीब है या उसे प्यार भी है ये एक सोचनीय प्रश्न है कालिदास के लिए पर मल्लिका उसे प्यार करती है और इस प्यार को को भाव का नाम देती है।हालांकि मल्लिका की मां अंबिका को ये भावनाएं बिल्कुल भी समझ नहीं आती है।

कालिदास कविताएं लिखता है और हाल ही में उसने ऋतुसंहार लिखा है। इस कविता को बहुत पसंद किया गया है। उज्जैयिनी के राजा को ये कविता इतनी पसंद आई कि उन्होंने कालिदास को सम्मान के योग्य समझा और घुड़सवारों को कालिदास के घर भेज दिया। जहां कालिदास उज्जैयिनी नहीं जाना चाहता वहीं मल्लिका चाहती है कि वो जाए और एक जाना माना चेहरा बने।

मल्लिका के वचन लेने पर कालिदास उज्जयिनी जाने को तैयार हो जाता है। यही से यूं दोनों की जिंदगी परिवर्तन का एक नया आयाम लेती है। क्या मल्लिका का प्रेम पूरा हो पाएगा?? क्या कालिदास वापस आएगा?? क्या कालिदास राज्य की चकाचौंध में खो जाएगा?? ऐसे तमाम सवालों का उत्तर पाने के लिए ये किताब जरूर पढ़े।

नाटक के अन्य किरदार भी अत्यंत रोमांचक वाद विवाद करते हुए नजर आए है। सभी किरदार मिलकर एक दूसरे को पूरा करते है और पाठकों को अंत तक बांध कर रखेंगे। जहां एक तरफ प्रेम और सहिष्णुता दिखाया गया है वहीं दूसरी तरफ ईर्ष्या को भी बड़े ही सहजता से दिखा दिया गया है।

आषाढ़ का एक दिन किताब की समीक्षा आप यूट्यूब पर भी देख सकते है

मोहन राकेश (Mohan Rakesh) के बारे में 

मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी 1925 को हुआ था। मोहन राकेश का मूल नाम मदन मोहन गुगलानी था। मोहन राकेश को कहानी , उपन्यास के साथ साथ नाटक और डायरी विधा में लिखने में ख्याति मिली है। उनका नाटक ” आषाढ़ का एक दिन “, आज तक भी अपनी पहचान बराबर बनाये हुए है। 

Mohan Rakesh

मोहन राकेश (Mohan Rakesh) की किताबें

Rakesh Mohan की किताबें है –

कहानी संग्रह

  1. इंसान के खंडहर
  2. नये बादल
  3. जानवर और जानवर
  4. पाँच लंबी कहानियाँ
  5. एक और जिंदगी
  6. फौलाद का आकाश
  7. क्वार्टर
  8. पहचान
  9. वारिस
  10. एक घटना
  11. संपूर्ण कहानी संग्रह

उपन्यास

  1. अँधेरे बंद कमरे
  2. न आने वाला कल
  3. अंतराल
  4. काँपता हुआ दरिया
  5. स्याह और सफेद 

नाटक

  1. आषाढ़ का एक दिन
  2. लहरों के राजहंस
  3. आधे अधूरे
  4. रात बीतने तक
  5. पैर तले की ज़मीन (अपूर्ण नाटक), जिसे बाद में उनके मित्र कमलेश्वर जी ने पूरा किया। 

लेख

  1. रंगमंच और शब्द
  2. शब्द और ध्वनि
  3. रेखा चित्र
  4. सत युग के लोग
  5. दिल्ली रात के बाहों में

यात्रा वृतांत

  1. आख़िरी चट्टान तक 

मोहन राकेश (Mohan Rakesh) को मिले पुरस्कार

  1. 1959 में ” आषाढ़ का एक दिन ” नाटक के लिए  “संगीत नाटक अकादमी” पुरस्कार
  2. 1971 में  “संगीत नाटक अकादमी” द्वारा उनकी संपूर्ण नाट्य रचना एवं नाट्य सेवा के लिए “नाट्य लेखन पुरस्कार”
  3. 1971 में नाट्य शोध के लिए नेहरू फेलोशिप 

2 thoughts on “आषाढ़ का एक दिन : समीक्षा”

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