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रात का रिपोर्टर : समझ और समीक्षा

रात का रिपोर्टर किताब लिखा है निर्मल वर्मा जी ने। ऐसा कहा जाता है कि रात का रिपोर्टर किताब इमरजेंसी के समय पर है। हालाँकि किताब में कही भी ऐसा कोई जिक्र नहीं है जिससे डायरेक्ट रूप में ये पता चलता हो कि ये इमरजेंसी के दौरान की कोई कहानी है।

लेकिन जो एक डर , एक भाँय भाँय करती करती राते , सन्नाटों में फ़ोन का बजना और किसी का न बोलना , हर वक़्त ऐसा लगना कि कोई पीछा कर रहा है , या कोई बातें सुन रहा रहा है , हर वक्त एक संदेह होना , हर किसी को संदेह की नजर से देखना , एक डर होना कि ये मुक्त दिन कभी भी खत्म वो सकते है , वो लोग कभी भी अंदर कर सकते है , ऐसी बातें स्थिति के बारे में काफी कुछ बयां करती है।

कौन है ये लोग जिनका डर हर वक्त रिशी को बना रहता है , इसके बारे में कही कोई बात नहीं की गयी है। बस इतना पता है कि अनूप भैया को अंदर किया गया है , तो रिशी को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है। ऐसी किसी बात को नहीं उजागर किया गया है जो स्पष्ट रूप से ये बता दे कि पूरी कहानी क्या है , या क्यों अनूप भैया को अंदर किया गया है , हाँ इसकी डोर राजनीति की तरफ जाती है।

आप एक स्पष्ट कहानी के लिए ‘रात का रिपोर्टर’ पढ़ना चाहेंगे तो हम आपको पहले ही बता दे वो नहीं मिलने वाला , पर हाँ एक सस्पेंस के तौर पर इस किताब को पढ़ने वाले है , तो शुरू से लेकर अंत तक आपको भर-भर कर सस्पेंस मिलेगा। किताब के बाकी महत्वपूर्ण किरदार राय साहब , हालबाख और बिन्दु लगे मुझे। हालाँकि हालबाख के बारे में इतना ही कि वो एक विदेशी है जो भारत में रिसर्च का काम कर रहा है , और रिशी और बिन्दु का दोस्त है।

मैं हालबाख के बारे में और जानना चाहती थी कि आखिर रिशी को उससे क्या खतरा हो सकता है , और आखिर उस ब्राउन बैग में क्या था जो हालबाख के लिए था। बिन्दु, रिशी की प्रेमिका की भूमिका में है। राय साहब एक महत्त्वपूर्ण किरदार है जो रिशी को रिपोर्ताज और इंटरव्यू के लिए बाहर भेजते है , और रिशी को प्रोटेक्ट करना चाहते है। बाकी रिशी की माँ , उसकी पत्नी , अनूप भैया और उनकी पत्नी , ये भी किरदार में है।

आप जब इस किताब को पढ़ रहे हो तो आप एक सिंपल सी सीधी कहानी की उम्मीद न कीजियेगा। एक घटनाक्रम से दूसरे पर कब आ जायेंगे आपको पता भी नहीं चलेगा। आपको भी रिशी के साथ भूत, वर्तमान में उसी तरह भागना होगा जिस तरह वो भाग रहा है।

सस्पेंस के लिहाज से ‘रात का रिपोर्टर’ बहुत सही किताब है। वैसे भी निर्मल वर्मा दिग्गज लेखक है , उनकी किताबे बढ़िया कैसे नहीं होंगी। हम तो पहली बार उन्हें पढ़े है , सब बढ़िया लगा , बस अंत का analysis हम काफी देर तक करते रहे कि मुझे कैसा लगा। कभी मुझे लगता कि अंत थोड़ा सा खाली खाली है , पर फिर मुझे लगता कि नहीं, इससे अच्छा अंत कोई हो नहीं सकता था।

रात का रिपोर्टर से रिपोर्टर और उन पर बने खतरे की सम्भावना की स्थिति के बारे में हमें पता चलता है। किसी भी समय ऐसी स्थिति आ जाना की रिपोर्टर को बार बार अपनी जगह से भागना पड़ रहा है , अच्छी बात नहीं है।

अगर आपको हिंदी किताबें पढ़ने का शौक हो तो रात का रिपोर्टर पढ़ सकते है , और आपने पहले से पढ़ रखी है तो अपनी राय जरूर साझा करें।

रात का रिपोर्टर
रात का रिपोर्टर

निर्मल वर्मा के बारे में

निर्मल वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1929 को शिमला में हुआ था। कमलेश्वर, मोहन राकेश, राजेंद्र यादव , मन्नू भंडारी के साथ – साथ निर्मल वर्मा भी नयी कहानी आंदोलन में प्रमुख थे। निर्मल वर्मा उपन्यास के अलावा , कहानियां , नाटक और संस्मरण भी लिखे है।

निर्मल वर्मा की लिखी किताबें है :

उपन्यास

वे दिन
अंतिम अरण्य
एक चिथड़ा सुख
लाल तीन की छत
रात का रिपोर्टर

कहानी – संग्रह

परिंदे
जलती – झाड़ी
लंदन की रात
पिछली गर्मियों में
डेढ़ इंच ऊपर
बीच बहस में
मेरी प्रिय कहानियाँ
प्रतिनिधि कहानियाँ
कव्वे और काला पानी
सूखा और अन्य कहानियाँ

संस्मरण

चीड़ों पर चाँदनी
हर बारिश में

नाटक

तीन एकांत

2 thoughts on “रात का रिपोर्टर : समझ और समीक्षा”

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