Amrita Pritam : दिल की आवाज
Amrita Pritam
हवाएं हंस – सी पड़ी और कहा…. अमृता
आसमां सिसक पड़ा था…. अमृता
पृथ्वी इश्क़ में नर्तन कर गा उठी…. अमृता
अग्नि ने सुर्ख़ स्वर में कहा…. अमृता
अमृता…. अमृता…. अमृता…. यह धड़कन मैंने समय के होठों पर ठहरी देखी थी और उस धड़कन को जब मैंने सुना तो एक गुनगुनाहट उठती दिखाई दी अनाहत नाद की तरह…. इश्क़…. इश्क़…. इश्क़….
( किताब – “साक्षी चेतना ” से )
Amrita Pritam ! एक जाना पहचाना नाम है , हिंदी और पंजाबी साहित्य की दुनिया में। Amrita Pritam जी के बारे में मैंने बहुत कुछ सुन, पढ़ रखा था। कभी किसी के पोस्ट के जरिए तो कभी इंटरनेट के जरिए। हो सकता है आपने भी सुन रखा हो , लेखिका होने की वजह से या फिर अमृता – इमरोज की प्रेम कहानी के चलते।
आज मैं उनके बारे में काफी कुछ लिखना चाहती हूँ। ये लिखना बहुत उमड़ उमड़ कर आ रहा है , क्यूँकि मैं कुछ दिनों से एक किताब पढ़ रही थी – जिसका नाम है ” साक्षी चेतना : अमृता प्रीतम ” और इसे लिखा है ” राजेश चन्द्रा ” ने। Basically ये किताब Amrita Pritam जी के बारे में है , कुछ घटनाएँ , कुछ discussions , राजेश जी की अमृता और इमरोज से मुलाकातों के बारे में और भी काफी कुछ जिसके जरिये हम अमृता जी के बारे में काफी कुछ जान सकते है।
अब चूँकि मैंने किताब पढ़ ली है , और वैसे भी अमृता जी के बारे में जानने में मुझे बड़ी दिलचस्पी रहती है तो जरूर से जरूर उनके बारे में कुछ बातें यहाँ पर लिखना चाहूंगी।
सबसे पहले शुरू करते है उनके जन्म से और फिर हम उनकी लिखी कहानियों, कविताओं पर आएंगे। हम अमृता – इमरोज के बारे में भी बात करेंगे और अमृता जी को मिले पुरस्कारों के बारे में भी।
Amrita Pritam की लेखन - यात्रा
Amrita Pritam का जन्म 31 अगस्त 1919 गुंजरावाला (पंजाब) में हुआ था। उनके पिता करतार सिंह कविताएँ लिखा करते थे। जब अमृता छोटी थी, तभी उनकी माँ राज बीबी का देहांत हो गया था। 16 की उम्र में ही उनकी कविताओं का एक संग्रह “Amrit Lehran” के नाम से publish हो गया था।
भारत – पाकिस्तान के विभाजन के समय पर अमृता की पेन ने दुःख में भीगी स्याही से जब वारिस शाह को पुकारा था ,
अज्ज आक्खां वारिस शाह नूं
किते कबरां बिच्चो बोल
ते अज्ज किताबे इश्क़ दा
कोई अगला वरका खोल …
हिंदी में जिसका अर्थ हुआ –
आज वारिस शाह से कहती हूँ
अपनी कब्र में से बोलो
और इश्क़ की किताब का
कोई नया पन्ना खोलो ….
Amrita Pritam की इस नज्म को सुनकर लोगों का गला रुंध आता था। कितने ही लोग ये कविता सुनकर रोये है। लोगों का दर्द अमृता जी की कविता में दर्ज हो गया।
अमृता जी ने 100 से अधिक पुस्तकें लिखी है , जिसमे उनकी कवितायेँ , उपन्यास , लोक गीत , ये सब शामिल है। उन्होंने हिंदी और पंजाबी दोनों ही भाषाओं में किताबे लिखी है। उनकी एक किताब है ” पिंजर “, जिस पर फिल्म भी बन चुकी है।
अमृता और इमरोज़
इमरोज़ का जन्म 26 जनवरी को हुआ था। अमृता और इमरोज़ को मुलाकात एक किताब के सिलसिले में 1958 – 59 के आसपास हुई थी। अमृता जी को अपनी एक किताब का मुखपृष्ठ बनवाना था और उन्हें किसी ने इंद्रजीत चित्रकार के बारे में बताया था। उन दिनों इमरोज़ जी का नाम इंद्रजीत हुआ करता था।
धीरे – धीरे यह मुलाकात दोस्ती में बदली और फिर दोस्ती दिल के रिश्तों में बदल गयी।
अमृता और इमरोज़ का रिश्ता प्रेरणादायक और पारम्परिक धारणाओं से परे था। वे दिल्ली के हौज़ खास में रहते थे। हौज़ खास के K-25 को इमरोज़ जी ने खूबसूरत चित्रों से और भी खूबसूरत बना दिया था। उन्होंने अक्सर अमृता के चित्र बनाये, कह सकते है उनकी आत्मा को चित्रों के माध्यम से इमरोज़ जी ने कैद कर लिया।
उन दिनों अमृता जी ने इमरोज़ के लिए कई गीत लिखे। इमरोज़ के मिलने पर कभी उन्होंने लिखा था
एक ही मुलाकात में
बातें उम्र की सीढ़ियां
चढ़ने लगी …..
अमृता का इमरोज़ के साथ संबंध उनकी कई साहित्यिक कृतियों के लिए प्रेरणा बना, जैसे अमृता इमरोज़ के कई चित्रों के लिए प्रेरणा बनीं। उनकी साझेदारी इस बात का प्रमाण थी कि कैसे दो रचनात्मक आत्माएँ एक-दूसरे के जीवन को समृद्ध कर सकती हैं।
2005 में अमृता की मृत्यु के बाद भी, इमरोज़ उनकी स्मृति के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने अपने साझा क्षणों और उनके बीच के प्रेम को संजोए रखा, जब तक उनकी मृत्यु 2023 में नहीं हुई।
Amrita Pritam जी की आत्मकथा
अमृता जी की एक किताब है रसीदी टिकट। ये किताब अमृता जी के जीवन के बारे में बहुत कुछ बताती है और वो भी अमृता जी की लेखनी से।
इस किताब को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा की एक लेखक या लेखिका जब कुछ लिख रहे होते है तो किस तरह चेतन या अचेतन मस्तिष्क से कई बातें लिख दी जाती है। अमृता जी ने अपनी बाकी किताबों के बारे में भी इसमें जिक्र किया है। किस तरह वो कई बार अचेतन रूप से अपनी ही कोई बात, या अपने को है किसी किताब में उतार दिया है। किस तरह उन्होंने कौन कौन सी चीजों को प्रेरणा लेकर अपनी किताबें लिखी है। लोग उनके लेख और उनकी किताबों से किस तरह प्रभावित होते थे। उनकी पर्सनल लाइफ कैसी थी। और भी बहुत सारी बातें।
ये कोई काल्पनिक कहानी की किताब नहीं है जिसके बारे में मैं आपको बोल सकूं की कि बहुत अच्छी है या बहुत खराब है। पर हां ये किसी के जीवन की किताब है और अगर आपको अमृता जी के बारे में कुछ पढ़ना हो तो आप ये किताब पढ़ सकते है।
Amrita Pritam को मिले पुरस्कार / उपाधि
1956 में काव्य – संग्रह ‘सुनेहड़े’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार
1969 में पद्यश्री
1979 में बल्गारिया से वाप्तसारोव पुरस्कार
1982 में ‘कागज से कैनवास तक’ के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार
[ किसी भी पंजाबी कृति को यह पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार था ]
1987 में फ्रांस सरकार से उपाधि
11 जुलाई 2000 को शताब्दी सम्मान
2004 में पद्म विभूषण
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