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Manav Kaul (मानव कौल) | साहित्य , रंगमंच और अभिनय

मानव कौल (Manav Kaul)

मानव ऐसे कलाकार है , जो किसी एक कला पर नहीं थमे हुए है। हम उन्हें एक लेखक के रूप में जानते है , कोई उन्हें अभिनेता के रूप में जानता होगा , और कोई थिएटर कलाकार। तो मानव ऐसे है जो फिल्म, थिएटर और साहित्य के बीच गोते लगाते रहते है।

मानव कौल (Manav Kaul) का शुरुआती जीवन

मानव कौल का जन्म कश्मीर के बारामुल्ला शहर में हुआ, पर वे पले बढ़े मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में।जिस वक्त कश्मीर से कश्मीरी पंडितों का पलायन हो रहा था उसी दौरान मानव को भी अपने परिवार के साथ होशंगाबाद आना पड़ा था।

मानव कौल अपने साक्षात्कार में बताते है कि वो बचपन में पढ़ने में अच्छे नहीं थे और उनसे कोई बहुत उम्मीदें भी नहीं थी। उन्होंने बहुत सारी कोशिशें अलग अलग चीजों को करने की करी। जैसे मानव ने एक लाइब्रेरी खोली , ब्रेक डांस सिखाया लगभग तीन सालों तक , टॉफी बिस्कुट की दुकान खोली क्योंकि उनकी सामने वाले दुकान से लड़ाई हो गयी थी। ये दुकान ज्यादा चली तो नहीं फिर भी उन्होंने लगभग एक साल चलायी , पतंग भी बेचना शुरू किया।मानव एक बहुत अच्छे तैराक भी रहे है। तो मानव ऐसे थे जो बहुत कुछ करना चाहते थे। मानव एक साक्षात्कार में इसको लेकर कहते भी है कि मैं बहुत लकी हूँ इस मामले में कि , मैं बहुत सारा हूँ।

Manav Kaul
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जब मानव कौल (manav Kaul) के जीवन में नाटक ने दस्तक दी

मानव के जीवन में नाटक आया , एक नाटक को देखकर। नाटक का नाम है मुद्राक्ष। मुद्राक्ष को देखकर मानव को लगा कि उन्हें भी ये करना है। शुरू में मानव की हिंदी बहुत ख़राब थी। नाटक करने के लिए मानव ने बहुत पढ़ना शुरू किया। उन्होंने नाटक के निर्देशक से बहुत डाँट भी खायी। और अगर आज के दिन आप मानव को देखते है तो उन्होंने हिंदी में 14 किताबें लिख डाली है।

मानव कहते है , थिएटर के लोग जितना मुक्त हँसी हँसते है उतना मैंने कही और नहीं देखा। मानव 3 – 4 साल भोपाल में थिएटर करने के बाद मुंबई गए और वहाँ पर उन्होंने संघर्ष किया। शुरूआती दौर में उनके पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे। पर मानव को हमेशा से पता था कि थिएटर में पैसे नहीं होते। उन्होंने एक फिल्म भी की फिर उसके 12 सालोँ के लिए अभिनय को छोड़ दिया। इस बीच मानव घूमते , नाटक लिखते और नाटक करते थे।

मानव ने एक थिएटर ग्रुप भी बनाया है जिसका नाम “अरण्य” है। वे अब तक कई नाटक लिख चुके है और निर्देशित भी किये है। शक्कर के पांच दाने , उनका पहला नाटक था , जिसे उन्होंने लिखा और निर्देशित किया। उसके बाद तो उन्होंने बहुत सारे नाटक किये और उन्हें बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिला। पीले स्कूटर वाला आदमी , बाली और शंभू जैसे नाटक दर्शक को बहुत करीब से छूते है। त्रासदी , इल्हाम , पार्क , रेड स्पैरो , चुहल जैसे कई और नाटकों में उनकी लेखनी की गहराई झलकती है।

मानव कौल (Manav Kaul) का लेखक होना

मानव खुद कहते है कि उनका लेखन ऐसा है कि , लिखने के ठीक पहले तक उन्हें बिलकुल अंदाजा नहीं होता कि वे क्या लिखना चाहते है या क्या लिखने जा रहे है। जब शब्द कागज पर उतरते है तो समझ आता है कि कितना कुछ था लिखने के लिए।

मानव कौल की किताबों में एक बड़ी अच्छी बात मुझे ये लगती है कि इन किताबों को जब आप पढ़ रहे होंगे तो उसके साथ ही साथ उस किताब में कई अन्य लेखकों का जिक्र और असर भी देखेंगे। निर्मल वर्मा , विनोद कुमार शुक्ल , रस्किन बांड , चेखव , दोस्तोवोस्की , ऐसे कई सारे लेखक है जिनकी किताबों का जिक्र मानव की किताबों में कहीं न कहीं आ ही जाता है।इससे हमें उन लेखकों के बारे में जानने में दिलचस्पी बढ़ती है और कई बार कुछ अच्छी किताबें भी पढ़ने को मिल जाती है।

मानव ने कई सारी विधाओं में किताबें लिखी है , जैसे कवितायेँ , कहानियाँ , उपन्यास, यात्रा और कुछ ऐसा भी जो न कविता है न कहानी। पर आप जब इन किताबों को पढ़ रहे होंगे तो आपको महसूस होगा कि आप कविता में कोई कहानी पढ़ रहे है , कहानी में यात्रा , यात्रा में कविता। आप खुद को एक जगह से दूसरी जगह जाता हुआ महसूस करेंगे।

मानव कौल (Manav Kaul) की किताबें

मानव ने अब तक कुल 14 किताबें लिखी है। ये सारी किताबें हिंदी भाषा में है। इनमें से कुछ किताबों का अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ है। किताबों की पूरी लिस्ट कुछ इस तरह है

  1. प्रेम कबूतर ( कहानियाँ )
  2. तुम्हारे बारे में ( न कविता न कहानी )
  3. बहुत दूर कितना दूर होता है ( यात्रा वृतांत )
  4. ठीक तुम्हारे पीछे ( कहानियाँ )
  5. चलता फिरता प्रेत ( कहानियाँ )
  6. अंतिमा ( उपन्यास )
  7. कर्ता ने कर्म से ( कविताएँ )
  8. शर्ट का तीसरे बटन ( उपन्यास )
  9. रूह ( यात्रा वृतांत )
  10. तितली ( उपन्यास )
  11. टूटी हुई बिखरी हुई ( उपन्यास )
  12. पतझड़ ( उपन्यास )
  13. कतरनें ( न कविता न कहानी )
  14. साक्षात्कार ( उपन्यास )

मानव कौल (Manav Kaul) की यात्राएँ

मानव कौल यात्राएँ बहुत करते है। उन्होंने अपनी किताबों में उन यात्राओं का जिक्र भी किया है। उनकी एक किताब है रूह , जो कि उनके जन्म स्थान कश्मीर से जुड़ी हुई है। कश्मीर के बारे में याद करते हुए मानव बोलते है , मेरे लिए कश्मीर में नीला आसमान , सफ़ेद बादल , सुन्दर बर्फ है और एक खुशबू है। रूह के बारे में बात करते हुए मानव कहते है कि मैं जब कश्मीर जा रहा था तो मुझे खुद नहीं पता था कि मैं क्या लिखूंगा। पर चूँकि मैं यात्रा में था तो मैं चाहता था कि कुछ न कुछ लिखता रहूँ। बाद में मुझे पता चला कि मेरे अवचेतन मन में कितना कुछ है जो एक पूरी किताब है।

मानव कौल की किताबों में आप कुछ कुछ बातों का जिक्र बार बार पढ़ सकते है , नदी , पहाड़, यात्रा। मुझे लगता यात्रा मानव के लेखन का एक अभिन्न हिस्सा है। पढ़ते पढ़ते ऐसा लगता है कि यात्रा नहीं बल्कि मानव का निजी जीवन पढ़ रहे हो।

मानव कौल (Manav Kaul) के साक्षात्कार

मानव के कई सारे साक्षात्कार यूट्यूब पर है। मानव का साक्षात्कार देखना , सुनना , काफी दिलचस्प है। मुझे बहुत सारी बातें इन साक्षात्कारों में पता चली। मैं यहाँ पर उन वीडियोस को लिंक दे रही हूँ। आप चाहे तो जाकर देख सकते है।

लल्लनटॉप पर सौरभ द्विवेदी के साथ मानव

नीलेश मिश्र के साथ मानव

ज़िन्दगी विथ रिचा में मानव

हिंदवी में अंजुम के साथ मानव

 

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